The Definitive Guide to Shodashi

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

Shodashi is deeply linked to the path of Tantra, where by she guides practitioners towards self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated since the embodiment of Sri Vidya, the sacred awareness that causes enlightenment.

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥

ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

Goddess Tripura Sundari can also be depicted for a maiden wearing excellent scarlet habiliments, dim and prolonged hair flows and is totally adorned with jewels and garlands.

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

website , kind, where she sits atop Shivas lap joined in union. Her qualities are unlimited, expressed by her 5 Shivas.  The throne upon which she sits has as its legs the five kinds of Shiva, the famed Pancha Brahmas

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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